फर्क
फर्क

प्रेमिका के साथ
शाम को
पंचसितारा होटल गया
मेनु लिया, देखा कि
चाय पचास रुपये
खाने की चीजों का तो

कहना ही क्या!
पंचसितारे में आसमान छू रहा है
दाम!!

फिर भी जानेमन के सामने
इज्जत बचाना ही चाहा
बाहर निकला तो
जेब खाली, दिमाग गरम
मुझ जैसे आदमी का
एक महीने आराम से
खाने का पैसा
एक बार चाय पीने में खर्च!!!
सोच इस तरह आगे बढ़ता गया
तब एकाएक याद आई
सुबह घटित ऑफिस की बात
बेटे को लेकर एक स्त्री आई थी
पचास पैसे देने से भी
हिचकिचाये थे हम सब
तब हमारी सोच उतनी दूर
पहुँची नहीं थी
कि कई पचास पैसे मिलकर
उस माँ-बेटे के लिए खाने का
रकम बन जाता होगा।
अब हमें एक चाय के लिए
पचास रुपये देने पर भी
हिचहिचाहट नहीं, दुख नहीं

अब सोच पहुँची उधर तक
आदमी-आदमी तक
उनके बीच के फरक तक!

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