फँस गए हैं | पंकज चतुर्वेदी
फँस गए हैं | पंकज चतुर्वेदी

फँस गए हैं | पंकज चतुर्वेदी

अलस्सुबह ग्राम-प्रधान अपने तख़्त पर 
नर्म बिछावन पर 
शीर्षासन कर रहे थे

जो किसान उनसे मिलने गया 
उसके मुताबिक़ 
प्रधान तख़्त पर उलटा खड़े थे

उसने उनसे पूछा : 
क्या इसमें समय लगेगा ?

प्रधान ने आँखों और भौंहों के 
समवेत इशारे से कहा : 
हाँ

उतनी देर वह इंतिज़ार करता रहा

व्यायाम के बाद 
उन्होंने पूछा : 
क्या काम है ?

किसान को बैंक से क़र्ज़ 
इसलिए उसके प्रार्थना-पत्र पर 
प्रधान की सिफ़ारिश के 
दस्तख़त चाहिए थे

काग़ज़ को उन्होंने ग़ौर से पढ़ा 
फिर बोले : 
इसमें तो हम फँस जाएँगे !

किसान ने आव देखा न ताव 
क़र्ज़ का ख़याल ही न रहा 
काग़ज़ वापस लेकर कहा : 
फँस तुम नहीं जाओगे 
फँस हम गए हैं 
तुम्हें वोट देकर फँस गए हैं

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