दूज का चाँद | मुकेश कुमार दूज का चाँद | मुकेश कुमार दूज का चाँदजैसे बिना मूठ का हँसियाकाटने को तैयारफसल तारों की देखता हूँ आधी रात कोउसे इस तरह मानोप्रतीक्षा में हूँ पूर्णिमा कीजब पियूँगा दूधिया चाँदनीगेहूँ की कच्ची बालियों मेंभरे रस जैसे।