चितकबरे घोड़े के लिए कविता | बद्रीनारायण
चितकबरे घोड़े के लिए कविता | बद्रीनारायण

चितकबरे घोड़े के लिए कविता | बद्रीनारायण

चितकबरे घोड़े के लिए कविता | बद्रीनारायण

सच बोलना चितकबरे
नाध से, चाबुक से, एड़ी से सच बोलना
सवारी से तो जरूर सच बोलना
जई से, खल्ली से सच-सच बोलना
सच सुने कई दिन हो गए
सच देखे कई दिन हो गए।

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