चंद्रमा | होर्हे लुईस बोर्हेस चंद्रमा | होर्हे लुईस बोर्हेस वह सोना कितना अकेला हैइन रातों का चाँद वह चाँद नहींजिसे देखा आदम ने पहली बारलोगों के रतजगों कीलंबी सदियों ने भर दिया है उसेपुरातन विलाप से देखो वह तुम्हारा दर्पण है