चाहता है यह पागल प्यार | महादेवी वर्मा
चाहता है यह पागल प्यार | महादेवी वर्मा
चाहता है यह पागल प्यार,
अनोखा एक नया संसार !
कलियों के उच्छवास शून्य में तानें एक वितान,
तुहिन-कणों पर मृदु कंपन से सेज बिछा दें गान;
जहाँ सपने हों पहरेदार,
अनोखा एक नया संसार !
करते हों आलोक जहाँ बुझ बुझ कर कोमल प्राण,
जलने में विश्राम जहाँ मिटने में हों निर्वाण;
वेदना मधु मदिरा की धार,
अनोखा एक नया संसार!
मिल जावे उस पार क्षितिज के सीमा सीमाहीन,
गर्वीले नक्षत्र धरा पर लोटें होकर दीन !
उदधि हो नभ का शयनागार,
अनोखा एक नया संसार!
जीवन की अनुभूति तुला पर अरमानों से तोल,
यह अबोध मन मूक व्यथा से ले पागलपन मोल !
करें दृग आँसू का व्यापार,
अनोखा एक नया संसार!
(नीहार से)