माँ-बेटी के बच्चों में क्या रिश्ता? बेताल-पच्चीसी चौबीसवीं कहानी Maan-Beti Ke Bachon Mein Kya Rishta? Chaubisvin Kahani- Betal Pachchisi in Hindi
माँ-बेटी के बच्चों में क्या रिश्ता? बेताल-पच्चीसी चौबीसवीं कहानी Maan-Beti Ke Bachon Mein Kya Rishta? Chaubisvin Kahani- Betal Pachchisi in Hindi

माँ-बेटी के बच्चों में क्या रिश्ता? बेताल-पच्चीसी चौबीसवीं कहानी. Maan-Beti Ke Bachon Mein Kya Rishta ?: Chaubisvin Kahani-Betal Pachchisi

किसी नगर में मांडलिक नाम का राजा राज करता था। उसकी पत्नी का नाम चंडवती था। वह मालव देश के राजा की लड़की थी। उसके लावण्यवती नाम की एक कन्या थी। जब वह विवाह के योग्य हुई तो राजा के भाई-बन्धुओं ने उसका राज्य छीन लिया और उसे देश-निकाला दे दिया। राजा रानी और कन्या को साथ लेकर मालव देश को चल दिया। रात को वे एक वन में ठहरे। पहले दिन चलकर भीलों की नगरी में पहुँचे। राजा ने रानी और बेटी से कहा कि तुम लोग वन में छिप जाओ, नहीं तो भील तुम्हें परेशान करेंगे। वे दोनों वन में चली गयीं। इसके बाद भीलों ने राजा पर हमला किया। राजा ने मुकाबला किया, पर अन्त में वह मारा गया। भील चले गये।

उसके जाने पर रानी और बेटी जंगल से निकलकर आयीं और राजा को मरा देखकर बड़ी दु:खी हुईं। वे दोनों शोक करती हुईं एक तालाब के किनारे पहुँची। उसी समय वहाँ चंडसिंह नाम का साहूकार अपने लड़के के साथ, घोड़े पर चढ़कर, शिकार खेलने के लिए उधर आया। दो स्त्रियों के पैरों के निशान देखकर साहूकार अपने बेटे से बोला, ‘‘अगर ये स्त्रियाँ मिल जों तो जायें जिससे चाहा, विवाह कर लेना।’’

लड़के ने कहा, ‘‘छोटे पैर वाली छोटी उम्र की होगी, उससे मैं विवाह कर लूँगा। आप बड़ी से कर लें।’’
साहूकार विवाह नहीं करना चाहता था, पर बेटे के बहुत कहने पर राजी हो गया। थोड़ा आगे बढ़ते ही उन्हें दोनों स्त्रियां दिखाई दीं। साहूकार ने पूछा, ‘‘तुम कौन हो?’’

रानी ने सारा हाल कह सुनाया। साहूकार उन्हें अपने घर ले गया। संयोग से रानी के पैर छोटे थे, पुत्री के पैर बड़े। इसलिए साहूकार ने पुत्री से विवाह किया, लड़के ने रानी से हुई और इस तरह पुत्री सास बनी और माँ बेटे की बहू। उन दोनों के आगे चलकर कई सन्तानें हुईं।

इतना कहकर बेताल बोला, ‘‘राजन्! बताइए, माँ-बेटी के जो बच्चे हुए, उनका आपस में क्या रिश्ता हुआ?’’
यह सवाल सुनकर राजा बड़े चक्कर में पड़ा। उसने बहुत सोचा, पर जवाब न सूझ पड़ा। इसलिए वह चुपचाप चलता रहा।

बेताल यह देखकर बोला, ‘‘राजन्, कोई बात नहीं है। मैं तुम्हारे धीरज और पराक्रम से खुश हूँ। मैं अब इस मुर्दे से निकला जाता हूँ। तुम इसे योगी के पास ले जाओ। जब वह तुम्हें इस मुर्दे को सिर झुकाकर प्रणाम करने को कहे तो तुम कह देना कि पहले आप करके दिखाओ। जब वह सिर झुकाकर बतावे तो तुम उसका सिर काट लेना। उसका बलिदान करके तुम सारी पृथ्वी के राजा बन जाओगे। सिर नहीं काटा तो वह तुम्हारी बलि देकर सिद्धि प्राप्त करेगा।’’

इतना कहकर बेताल चला गया और राजा मूर्दे को लेकर योगी के पास आया।

बेताल पच्चीसी – Betal Pachchisi

बेताल पच्चीसी पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है। इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे। ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं। बेताल प्रतिदिन एक कहानी सुनाता है और अन्त में राजा से ऐसा प्रश्न कर देता है कि राजा को उसका उत्तर देना ही पड़ता है। उसने शर्त लगा रखी है कि अगर राजा बोलेगा तो वह उससे रूठकर फिर से पेड़ पर जा लटकेगा। लेकिन यह जानते हुए भी सवाल सामने आने पर राजा से चुप नहीं रहा जाता। Read on Wikipedia

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Further Reading:

  1. बेताल-पच्चीसी पहली कहानी
  2. बेताल-पच्चीसी दूसरी कहानी
  3. बेताल-पच्चीसी तीसरी कहानी
  4. बेताल-पच्चीसी चौथी कहानी
  5. बेताल-पच्चीसी पाँचवीं कहानी
  6. बेताल-पच्चीसी छठी कहानी
  7. बेताल-पच्चीसी सातवीं कहानी
  8. बेताल-पच्चीसी आठवीं कहानी
  9. बेताल-पच्चीसी नवीं कहानी
  10. बेताल-पच्चीसी दसवीं कहानी
  11. बेताल-पच्चीसी ग्यारहवीं कहानी
  12. बेताल-पच्चीसी बारहवीं कहानी
  13. बेताल-पच्चीसी तेरहवीं कहानी
  14. बेताल-पच्चीसी चौदहवीं कहानी
  15. बेताल-पच्चीसी पन्द्रहवीं कहानी
  16. बेताल-पच्चीसी सोलहवीं कहानी
  17. बेताल-पच्चीसी सत्रहवीं कहानी
  18. बेताल-पच्चीसी अठारहवीं कहानी
  19. बेताल-पच्चीसी उन्नीसवीं कहानी
  20. बेताल-पच्चीसी बीसवीं कहानी
  21. बेताल-पच्चीसी इक्कीसवीं कहानी
  22. बेताल-पच्चीसी बाईसवीं कहानी
  23. बेताल-पच्चीसी तेईसवीं कहानी
  24. बेताल-पच्चीसी चौबीसवीं कहानी
  25. बेताल-पच्चीसी पच्चीसवीं कहानी

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