Contents
- 1 बेताल पच्चीसी – Betal Pachchisi
- 2 पति कौन? Download PDF
- 3 Further Reading:
- 4 बैताल पचीसी – Baital Pachisi
- 4.1 किसका पुण्य बड़ा? बेताल-पच्चीसी सातवीं कहानी
- 4.2 बेताल-पच्चीसी पच्चीसवीं कहानी
- 4.3 माँ-बेटी के बच्चों में क्या रिश्ता? बेताल-पच्चीसी चौबीसवीं कहानी
- 4.4 योगी पहले क्यों रोया, फिर क्यों हँसा? बेताल-पच्चीसी तेईसवीं कहानी
- 4.5 शेर बनाने का अपराधी कौन? बेताल-पच्चीसी बाईसवीं कहानी
- 4.6 सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा कौन? बेताल-पच्चीसी इक्कीसवीं कहानी
- 4.7 बालक क्यों हँसा? बेताल-पच्चीसी बीसवीं कहानी
- 4.8 पिण्ड दान का अधिकारी कौन? बेताल-पच्चीसी उन्नीसवीं कहानी
- 4.9 विद्या क्यों नष्ट हुई? बेताल-पच्चीसी अठारहवीं कहानी
- 4.10 अधिक साहसी कौन? बेताल-पच्चीसी सत्रहवीं कहानी
- 4.11 सबसे बड़ा काम किसका? बेताल-पच्चीसी सोलहवीं कहानी
- 4.12 चुराई चीज़ पर किसका अधिकार? बेताल-पच्चीसी पन्द्रहवीं कहानी
- 4.13 चोर ज़ोर-ज़ोर से क्यों रोया और फिर हँसा? बेताल-पच्चीसी चौदहवीं कहानी
- 4.14 अपराधी कौन? बेताल-पच्चीसी तेरहवीं कहानी
- 4.15 दीवान की मृत्यु क्यूँ? बेताल-पच्चीसी बारहवीं कहानी
- 4.16 सबसे अधिक सुकुमार कौन? बेताल-पच्चीसी ग्यारहवीं कहानी
- 4.17 सबसे अधिक त्यागी कौन? बेताल-पच्चीसी दसवीं कहानी
- 4.18 सर्वश्रेष्ठ वर कौन? बेताल-पच्चीसी नवीं कहानी
- 4.19 सबसे बढ़कर कौन? बेताल-पच्चीसी आठवीं कहानी
- 4.20 पत्नी किसकी? बेताल-पच्चीसी छठी कहानी
- 4.21 असली वर कौन? बेताल-पच्चीसी पाँचवीं कहानी
- 4.22 ज्यादा पापी कौन? बेताल-पच्चीसी चौथी कहानी
- 4.23 सबसे ज्यादा पुण्य किसका? बेताल-पच्चीसी तीसरी कहानी
- 4.24 प्रारम्भ की कहानी बेताल-पच्चीसी पहली कहानी
- 4.25 Like this:
पति कौन? बेताल-पच्चीसी दूसरी कहानी Pati Kaun? Doosri Kahani – Betal Pachchisi in Hindi
यमुना के किनारे धर्मस्थान नामक एक नगर था। उसे नगर में गणाधिप नाम का राजा राज करता था। उसी में केशव नाम का एक ब्राह्मण भी रहता था। ब्राह्मण यमुना के तीर पर जप-तप किया करता था। उसके एक लड़की थी, जिसका नाम मालती था। वह बड़ी रूपवती थीं जब वह ब्याह के योगय हुई तो उसके माता, पिता और भाई को चिन्ता हुई। संयोग से ब्राह्मण अपने किसी यजमान की बारात में गया, भाई पढ़ने चला गया। तभी उनके घर में एक ब्राह्मण का लड़का आया। लड़की की माँ ने उसके रूप और गुणों को देखकर उससे कहा कि मैं तुमसे अपनी लडकी का ब्याह करूँगी। होनहार की बात कि उधर ब्राह्मण को एक लड़का मिल गया और उसने वचन दे दिया। उधर ब्राह्मण का लड़का जहाँ पढ़ने गया था, वहाँ वह एक लड़के से वादा कर आया।
कुछ समय बाद बाप-बेटे घर में इकट्ठे हुए तो देखते क्या हैं कि वहाँ एक तीसरा लड़का और मौजूद है। दो उनके साथ आये थे। अब क्या हो? ब्राह्मण, उसका लड़का और ब्राह्मणी बड़े सोच में पड़े। दैवयोग से हुआ क्या कि लड़की को साँप ने काट लिया। वह मर गयी। उसके बाप, भाई और तीनों लड़कों ने बड़ी भाग-दौड़ की, ज़हर झाड़नेवालों को बुलाया, पर कोई नतीजा न निकला। सब अपनी-अपनी करके चले गये। दु:खी होकर वे उस लड़की को श्मशान में ले गये और क्रिया-कर्म कर आये। तीनों लड़कों में से एक ने तो उसकी हड्डियाँ चुन लीं और फकीर बनकर जंगल में चला गया। दूसरे ने राख की गठरी बाँधी और वहीं झोपड़ी डालकर रहने लगा। तीसरा योगी होकर देश-देश घुमने लगा।
एक दिन की बात है, वह तीसरा लड़का घूमते-घामते किसी नगर में पहुँचा और एक ब्राह्मणी के घर भोजन करने बैठा। जैसे ही उस घर की ब्राह्मणी भोजन परोसने आयी कि उसके छोटे लड़के ने उसका आँचल पकड़ लिया। ब्राह्मणी आँचल छुड़ता नहीं था। ब्राह्मणी की बड़ा गुस्सा आया। उसने लड़के को झिड़का, मारा, फिर भी वह न माना तो उसने उसे उठाकर जलते चूल्हें में पटक दिया। लड़का जलकर राख हो गया। ब्राह्मण बिना भोजन किये ही उठ खड़ा हुआ। घरवाले ने बहुतेरा कहा, पर वह भोजन करने के लिए राजी न हुआ। उसने कहा जिस घर में ऐसी राक्षसी हो, उसमें मैं भोजन नहीं कर सकता। इतना सुनकर वह आदमी भीतर गया और संजीवनी विद्या की पोथी लाकर एक मन्त्र पढ़ा। लड़का जीवित हो गया।
यह देखकर ब्राह्मण सोचने लगा कि अगर यह पाथी मेरे हाथ पड़ जाये तो मैं भी उस लड़की को जिला सकता हूँ। इसके बाद उसने भोजन किया और वहीं ठहर गया। जब रात को सब खा-पीकर सो गये तो वह ब्राह्मण चुपचाप पोथी लेकर चल दिया। जिस स्थान पर लड़की को जलाया गया था, वहाँ जाकर उसने देखा कि दूसरे लड़के वहाँ बैठे बातें कर रहे हैं। इस ब्राह्मण के यह कहने पर कि उसे संजीवनी विद्या की पोथी मिल गयी है और वह मन्त्र पढ़कर लड़की को जिला सकता है, उन दोनों ने हड्डियाँ और राख निकाली। ब्राह्मण ने जैसे ही मंत्र पढ़ा कि लड़की जी उठी। अब उसके पीछे आपस में झगड़ने लगे।
इतना कहकर बेताल बोला, “राजा, बताओ कि वह लड़की किसकी स्त्री होनी चाहिए?”
राजा ने जवाब दिया, “जो वहाँ कुटिया बनाकर रहा, उसकी।”
बेताल ने पूछा, “क्यों?”
राजा बोला, “जिसने हड्डियाँ रखीं, वह तो उसके बेटे के बराबर हुआ। जिसने विद्या सीखकर जीवन-दान दिया, वह बाप के बराबर हुआ। जो राख लेकर रमा रहा, वही उसकी हक़दार है।”
राजा का यह जवाब सुनकर बेताल फिर पेड़ पर जा लटका। राजा को फिर लौटना पड़ा और जब वह उसे लेकर चला तो बेताल ने तीसरी कहानी सुनायी।
पति कौन? Second Story Ends!
बेताल पच्चीसी – Betal Pachchisi
बेताल पच्चीसी पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है। इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे। ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं। बेताल प्रतिदिन एक कहानी सुनाता है और अन्त में राजा से ऐसा प्रश्न कर देता है कि राजा को उसका उत्तर देना ही पड़ता है। उसने शर्त लगा रखी है कि अगर राजा बोलेगा तो वह उससे रूठकर फिर से पेड़ पर जा लटकेगा। लेकिन यह जानते हुए भी सवाल सामने आने पर राजा से चुप नहीं रहा जाता। Read on Wikipedia
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Further Reading:
- बेताल-पच्चीसी पहली कहानी
- बेताल-पच्चीसी दूसरी कहानी
- बेताल-पच्चीसी तीसरी कहानी
- बेताल-पच्चीसी चौथी कहानी
- बेताल-पच्चीसी पाँचवीं कहानी
- बेताल-पच्चीसी छठी कहानी
- बेताल-पच्चीसी सातवीं कहानी
- बेताल-पच्चीसी आठवीं कहानी
- बेताल-पच्चीसी नवीं कहानी
- बेताल-पच्चीसी दसवीं कहानी
- बेताल-पच्चीसी ग्यारहवीं कहानी
- बेताल-पच्चीसी बारहवीं कहानी
- बेताल-पच्चीसी तेरहवीं कहानी
- बेताल-पच्चीसी चौदहवीं कहानी
- बेताल-पच्चीसी पन्द्रहवीं कहानी
- बेताल-पच्चीसी सोलहवीं कहानी
- बेताल-पच्चीसी सत्रहवीं कहानी
- बेताल-पच्चीसी अठारहवीं कहानी
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