जब सब आरती कर रहे थेवह पौधों कोपानी देने में मगन थाभीतर ही भीतरजब सब अपनी मनौतियों मेंथे सराबोरवह दुखी था –कि अंततः उस बिल्ली कोबचाने में नहीं हुआ कामयाबबँगले मेंसंपन्नता थी हर जगहपर उसे गम थाआदमी के न होने का