बैल | राकेश रंजन बैल | राकेश रंजन उन्हें अपने खेत सेहँका दिया गयावे कुछ नहीं बोले उन्हें खलिहान सेहाट तक की बाट सेहटा दिया गयावे कुछ नहीं बोले उन्हें ले जाया गयाबूचड़खाने की ओरफिर भीवे कुछ नहीं बोले अगर बोल पाते वेबैल क्यों कहाते वे