अंतिम भेंट का गीत | ऐना अक्म्टोवा
अंतिम भेंट का गीत | ऐना अक्म्टोवा

अंतिम भेंट का गीत | ऐना अक्म्टोवा

अंतिम भेंट का गीत | ऐना अक्म्टोवा

ढीली पड़ गई थी छाती
लेकिन चाल सहज थी
दाएँ हाथ में दस्‍ताना
पहना मैंने बाएँ हाथ का।

लगा – बहुत हैं पायदान
पर जानती थी – हैं केवल तीन !
मेपलों के बीच पतझर की धीमी पुकार –
‘आओ, तुम भी मर लो मेरे साथ।
मुझे धोखा दिया है
मेरी उदास, दुष्‍ट, बदलती नियति ने।’

उत्‍तर दिया मैंने – ‘मेरे प्रिय तुमने मुझे भी
धोखा दिया है।
मैं भी मरूँगी तुम्‍हारे साथ।’

यह गीत है अंतिम भेंट का।
मैंने देखा उस अंधियारे मकान की ओर।
केवल शयनकक्ष में जल रही थी मोमबत्तियाँ
उदास पीली रोशनी फैलाती।

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