सान्निध्य की सीमा | ऐना अक्म्टोवा सान्निध्य की सीमा | ऐना अक्म्टोवा सान्निध्य की भी होती है अपनी पावन सीमाएँजिनका अतिक्रमण न प्रेम कर सकता है न वासनाएँभले ही एक हो जाएँ होठ भयानक खामोशी मेंऔर प्यार में हो जाएँ हृदय के टुकड़े-टुकड़े। अशक्त पड़ जाती है मित्रताअभिजात और अग्निमय सुखों के वर्षजब मन हो […]
Tag: Anna Akhmatova
Posted inPoems
सब कुछ | ऐना अक्म्टोवा
Posted inPoems
सच्ची कोमलता | ऐना अक्म्टोवा
Posted inPoems
मैं उनके साथ हूँ | ऐना अक्म्टोवा
Posted inPoems
प्रस्थान | ऐना अक्म्टोवा
Posted inPoems
पत्थर सा सफेद | ऐना अक्म्टोवा
Posted inPoems