अधपके अमरूद की तरह पृथ्वी | अशोक वाजपेयी
अधपके अमरूद की तरह पृथ्वी | अशोक वाजपेयी
खरगोश अँधेरे में
धीरे-धीरे कुतर रहे हैं पृथ्वी।
पृथ्वी को ढोकर
धीरे–धीरे ले जा रही हैं चींटियाँ।
अपने डंक पर साधे हुए पृथ्वी को
आगे बढ़ते जा रहे हैं बिच्छू।
एक अधपके अमरूद की तरह
तोड़कर पृथ्वी को
हाथ में लिए है
मेरी बेटी।
अँधेरे और उजाले में
सदियों से
अपना ठौर खोज रही है पृथ्वी