सिर्फ शब्दों से नहीं | अशोक वाजपेयी

सिर्फ शब्दों से नहीं | अशोक वाजपेयी

सिर्फ शब्दों से नहीं | अशोक वाजपेयी सिर्फ शब्दों से नहीं | अशोक वाजपेयी सिर्फ शब्दों से नहीं,बिना छुए उसे छूकर,बिना चूमे उसे चूमकरबिना घेरे उसे बाँहों में घेरकर,दूर से उसे पँखुरी-पँखुरी खोलते हुएबिना देखे उसे दृश्य करते हुएमैंने उससे कहा।

सूर्य | अशोक वाजपेयी

सूर्य | अशोक वाजपेयी

सूर्य | अशोक वाजपेयी सूर्य | अशोक वाजपेयी चंपे के फूल मुँह उठाएदेखते हैं सूर्य की ओर¸तार पर बैठी एक चिड़ियाताकती है सूर्योदय¸जाड़े में सरदी से कुकुड़ताएक बच्चा उम्मीद सेबैठता है धूप में। अपनी धुरी पर स्थिर और अचलसूर्यदेखता है फूल को¸ चिड़िया को¸बच्चे कोअपने ही प्रताप सेपकती फसलों को सूर्य को नहीं सूझ पड़तीवनस्पतियाँ¸ … Read more

समय से अनुरोध | अशोक वाजपेयी

समय से अनुरोध | अशोक वाजपेयी

समय से अनुरोध | अशोक वाजपेयी समय से अनुरोध | अशोक वाजपेयी समय, मुझे सिखाओकैसे भर जाता है घाव? परएक अदृश्य फाँस दुखती रहती हैजीवन-भर। समय, मुझे बताओकैसे जब सब भूल चुके होंगेरोजमर्रा के जीवन-व्यापार मेंमैं याद रख सकूँऔर दूसरों से बेहतर न महसूस करूँ। समय, मुझे सुझाओकैसे मैं अपनी रोशनी बचाए रखूँतेल चुक जाने … Read more

सद्यःस्नाता | अशोक वाजपेयी

सद्यःस्नाता | अशोक वाजपेयी

सद्यःस्नाता | अशोक वाजपेयी सद्यःस्नाता | अशोक वाजपेयी पानीछूता है उसेउसकी त्वचा के उजास कोउसके अंगों की प्रभा को – पानीढलकता है उसकीउपत्यकाओं शिखरों में से – पानीउसे घेरता हैचूमता है पानी सकुचातालजातागरमाता हैपानी बावरा हो जाता है पानी के मन मेंउसके तन केअनेक संस्मरण हैं।

सड़क पर एक आदमी | अशोक वाजपेयी

सड़क पर एक आदमी | अशोक वाजपेयी

सड़क पर एक आदमी | अशोक वाजपेयी सड़क पर एक आदमी | अशोक वाजपेयी वह जा रहा हैसड़क परएक आदमीअपनी जेब से निकालकर बीड़ी सुलगाता हुआधूप में–इतिहास के अँधेरेचिड़ियों के शोरपेड़ों में बिखरे हरेपन से बेख़बरवह आदमी… बिजली के तारों पर बैठे पक्षीउसे देखते हैं या नहीं – कहना मुश्किल हैहालाँकि हवा उसकी बीड़ी के … Read more

शेष | अशोक वाजपेयी

शेष | अशोक वाजपेयी

शेष | अशोक वाजपेयी शेष | अशोक वाजपेयी सब-कुछ बीत जाने के बादबचा रहेगा प्रेमकेलि के बाद शैया में पड़ गई सलवटों-सा,मृत्यु के बाद द्रव्य-स्मरण-सा,अश्वारोहियों से रौंदे जाने के बादहरियाली ओढ़े दुबकी पड़ी धरती-सा,गरमियों में सूख गए झरने की चट्टानों के बीचजड़ों में धँसी नमी-सा बचा रहेगाअंत में भी प्रेम!

शरण्य | अशोक वाजपेयी

शरण्य | अशोक वाजपेयी

शरण्य | अशोक वाजपेयी शरण्य | अशोक वाजपेयी शरण खोजते हुएफिर हम तुम्हारे पास ही आएँगे। नक्षत्रों में नहीं मिलेगा कहीं ठौर –देवता मुँह फेर लेंगे,स्वर्ग-नरक की भीड़ मेंपुरखों का नहीं चलेगा कहीं पता-ठिकाना –अजनबी की तरह देखेंगे मित्र और पड़ोसी। छोड़ नहीं पाएँगे पीछे अपनी यादें,तज नहीं पाएँगे पुराने कपड़ों की तरहअपने मोह,किसी चबूतरे … Read more

विश्वास करना चाहता हूँ | अशोक वाजपेयी

विश्वास करना चाहता हूँ | अशोक वाजपेयी

विश्वास करना चाहता हूँ | अशोक वाजपेयी विश्वास करना चाहता हूँ | अशोक वाजपेयी विश्वास करना चाहता हूँ किजब प्रेम में अपनी पराजय परकविता के निपट एकांत में विलाप करता हूँतो किसी वृक्ष पर नए उगे किसलयों में सिहरन होती हैबुरा लगता है किसी चिड़िया को दृश्य का फिर भी इतना हरा-भरा होनाकिसी नक्षत्र की … Read more

विदा | अशोक वाजपेयी

विदा | अशोक वाजपेयी

विदा | अशोक वाजपेयी विदा | अशोक वाजपेयी तुम चले जाओगेपर थोड़ा-सा यहाँ भी रह जाओगेजैसे रह जाती हैपहली बारिश के बादहवा में धरती की सोंधी-सी गंधभोर के उजास मेंथोड़ा-सा चंद्रमाखंडहर हो रहे मंदिर मेंअनसुनी प्राचीन नूपुरों की झंकार। तुम चले जाओगेपर थोड़ी-सी हँसीआँखों की थोड़ी-सी चमकहाथ की बनी थोड़ी-सी कॉफीयहीं रह जाएँगेप्रेम के इस … Read more

वह नहीं कहती | अशोक वाजपेयी

वह नहीं कहती | अशोक वाजपेयी

वह नहीं कहती | अशोक वाजपेयी वह नहीं कहती | अशोक वाजपेयी उसने कहाउसके पास एक छोटा-सा हृदय हैजैसे धूप कहेउसके पास थोड़ी-सी रौशनी हैआग कहेउसके पास थोड़ी सी गरमाहट— धूप नहीं कहती उसके पास अंतरिक्ष हैआग नहीं कहती उसके पास लपटेंवह नहीं कहती उसके पास देह।