आओ तुमको गीत सुनाएँ | प्रदीप शुक्ल
आओ तुमको गीत सुनाएँ | प्रदीप शुक्ल

आओ तुमको गीत सुनाएँ | प्रदीप शुक्ल

आओ तुमको गीत सुनाएँ | प्रदीप शुक्ल

उठो अकविता के मरुथल से
तुमको शीतल छाँव दिखाएँ
आओ तुमको गीत सुनाएँ

शब्दों की
खुरदुरी सतह पर
चलते चलते थक जाओगे
मृग मरीचिका के पीछे तुम
कब तक मन को दौड़ाओगे
लय में बहते निर्झर जल से
आओ मन की प्यास बुझाएँ
आओ तुमको गीत सुनाएँ

पछुआ की
बेरहम हवाएँ
सुखा रहीं मन का गीलापन
पुरवा के आँचल में खोजें
आओ थोड़ा सा अपनापन
सुधियों के
मृगछौने लेकर
बैठ छाँव में हम दुलराएँ
आओ तुमको गीत सुनाएँ।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *