आजादी | ए अरविंदाक्षन
आजादी | ए अरविंदाक्षन

आजादी | ए अरविंदाक्षन

आजादी | ए अरविंदाक्षन

कवियों के लिए कोई पाबंदी नहीं है
किसी भी विषय पर
वे कविता लिख सकते हैं।
कविता में वे
किसी का भी पक्ष ले सकते हैं
रचनाकारों को भी पूरी आजादी है
वे कुछ भी लिख सकते हैं
किसी के पक्ष में या विपक्ष में।
अभिनेत्रियों को पूरी आजादी है
वे कितना कपड़ा, कैसे पहनें
कोई रोक-टोक नहीं
इसी को आजादी कहा जाता है।
पर किसानों को आजादी नहीं है
बीज बोने की
अपने खेतों को बचाने की
उन्हें पता नहीं
खेतों में ही हम
विकास के बीज बो सकते हैं
किसान अनपढ़ हैं
उन्हें सिर्फ खेती बचाना आता है
विकास का बीज बोना नहीं आता है
अनपढ़ होने से
इस नई किस्म के बीजों की
उनके पास जानकारी नहीं है।
ये अनपढ़ ही सही
यदि कविता लिखते तो
कोई बात नहीं थी
उन्हें कविता लिखने की पूरी आज़ादी है
लेकिन
उन्हें खेती बचाने की आजादी नहीं दी सकती है।

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