अचूक खुशियाँ | ईमान मर्सल
अचूक खुशियाँ | ईमान मर्सल

अचूक खुशियाँ | ईमान मर्सल

अचूक खुशियाँ | ईमान मर्सल

सोने से पहले
मैं फोन को बिस्तर के पास खींच लाऊँगी
और बहुत सारी चीजों के बारे में उन लोगों से बातें करूँगी
यह तय करने के लिए कि वे सच में मौजूद हैं,
कि वीकेंड के लिए उनके पास अभी से योजनाएँ हैं
इतने सुरक्षित हैं वे
कि बुढ़ापे से डरते हैं
और झूठ बोल लेते हैं

मैं यह तय करूँगी कि वे सच में मौजूद हैं
अपनी अचूक खुशियों के भीतर
और यह भी कि
मैं अकेली हूँ
और जब तक होती रहेंगी नई-नई नाराजगियाँ
तब तक सुबह होती रहेगी

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *