तुम्हारी वाली चाय | आरती
तुम्हारी वाली चाय | आरती
वो, ऐसी ही चाय पीती हैं
कड़क… कम दूध… ज्यादा शक्कर
उन्होंने प्याला भरकर मेरी ओर बढ़ाया –
‘चखकर देखो तुम्हारी वाली ही है’
मैंने खाली कर दिया
पूरा का पूरा
आज इसी की जरूरत थी
‘माँ, मुझे तुम्हारी वाली ही चाहिए’
उनके चूल्हे पर चढ़ी है केतली
उबल रही है लाल चाय
वो सबको पिला सकती है बराबर बराबर
मैंने एक प्याला और माँगा