तुम अलग थी अपने प्रेम से | विमल चंद्र पांडेय
तुम अलग थी अपने प्रेम से | विमल चंद्र पांडेय

तुम अलग थी अपने प्रेम से | विमल चंद्र पांडेय

तुम अलग थी अपने प्रेम से | विमल चंद्र पांडेय

तुम्हारा प्रेम मुझे अमर करना चाहता था
तुम हर पल मुझे मारने पर उतारू थी
तुम्हारी प्रलय की हद तक जाती शंकाएँ
मेरी चमड़ी के नीचे की परत देखना चाहती थीं
तुम्हारा प्रेम मेरी अदृश्य चोटों पर भी होंठों के मरहम रखता था

किसी को कैसे एक साथ देखा जाए उसके प्रेम से
जबकि दोनों अलग अलग वजूद हैं समय के
तुम्हारा प्रेम इतना बड़ा कि समा नहीं पाता मेरे हृदय में पूरा का पूरा
तुम्हारे आरोप इतने छोटे कि कहाँ चुभते हैं मेरे बदन में
खोज तक नहीं पाता

मैं भी कहाँ था अपने प्रेम जैसा
जो तुम्हें आकाश में उड़ता और नदियों में अठखेलियाँ करता देखना चाहता था
मैं चाहता था तुम्हें बाहों में भर कर चूमूँ और हमेशा के लिए बंद कर लूँ अपने हृदय में
इसमें मेरे प्रेम से अधिक यह भावना थी कि तुम्हें देखूँ हमेशा मैं ही
तुम्हें चूमूँ हमेशा मैं ही
तुम्हें हमेशा सिर्फ मैं ही प्यार करूँ
मेरा प्रेम बहुत विराट था तुम्हारे प्रेम जैसा ही
लेकिन हम वही थे
टुच्ची कमजोरियों से भरे छोटी कामनाओं वाले मनुष्य

न तुम कुछ खास थी न मुझमें कोई बात थी
हमारे प्रेम ने हमें बदल कर कुछ वैसा बनाना चाहा
जैसा किताबों में और पुरानी कहानियों में होते हैं किरदार
हमने वैसा बनने का अभिनय किया और अपने प्रेम को सम्मान दिया
जितनी हमारी क्षमता थी

हमारी क्षमता के हिसाब से ही हमें मिलता है प्रेम

प्रेम हमसे बदले में कुछ नहीं चाहता था
सिर्फ इतना कि हम अपनी बांहें बिल्कुल छोटी कर लें और बढ़ा लें अपने हृदय का विस्तार सागर सा
प्रेम में दुनिया से लेंगे भी तो क्या लेंगे गुड़िया ?
कौन सी चीज प्रेम में सुकून पहुँचाती है
सिवाय प्रेम के ?

तुमने मुझे हमेशा छीलना चाहा अपने आकार में लाने के लिए
मैंने तुम्हें दबा कर तुम्हारी ऊँचाई कम करने की कोशिश की
हम एक दूसरे को सबसे अच्छे से जानते थे इसलिए हम सबसे अच्छे दुश्मन थे
और हमसे अच्छे दोस्त कहाँ मिल सकते थे
प्रेम ने हमें बड़ी मिसालें दीं तो हमने उन्हें कविता में प्रयोग कर लिया
जीवन में हमने उन्हीं चीजों का प्रयोग किया जो हमें बिना मेहनत के मिलीं
हमारे तकिए पर और हमारे पुश्तैनी घर की आलमारी में

तुम मेरी आत्मा पर अपने नाखूनों के निशान छोड़ती रही
मैं तुम्हारे शरीर को सजाता रहा
सताता रहा
हमने एक दूसरे से प्यार करके भी
अलग-अलग चीजों से प्यार किया
जिसे सँभालना कठिन साबित हुआ
खुद हमारे लिए भी

Join the Conversation

1 Comment

Leave a comment
Leave a Reply to shwati pandey Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *