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स्वतंत्रता

विवेक के चक्रवात में,एक ही चक्रवात मेंआओ, चल दें हम सब देवी के पीछे !हंस के पंख की तरहलोगों ने उठा रखी है श्रम की ध्‍वजा। स्‍वतंत्रता की जलती आँखें !आग की लपटें भी ठंडी पड़ जाती हैं उनके सामनेउनकी भूख केनिर्मित हाने दो बिंब नए नए ! मित्रो, आओ, चल दें गीतों की ओर […]