जाहिर है ऐसा ही चलता आ रहा है जमाने से –पगला जाते हैं हम तीस बरस से पहले-पहलेहम अपाहिज ज्यादा जोर सेजोड़े रखते हैं रिश्ता जिंदगी से। प्रिय, जल्द ही मैं भी हो जाऊँगा तीस कादिन-ब-दिन प्रिय लग रही है यह धरतीइसीलिए सपनों में देखता है दिलकि जल रहा हूँ मैं गुलाबी आग में। जलना […]
Sergei Yesenin
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कचालोव के कुत्ते के लिए
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ओ मेरे गीत
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