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सूरज से भी नहीं छँटेगा | माधव कौशिक

सूरज से भी नहीं छँटेगा | माधव कौशिक सूरज से भी नहीं छँटेगा | माधव कौशिक सूरज से भी नहींछँटेगाअंधे युग का अंधियारा। मानचित्र को रोंदरही हैंराजनीति की चालेंसेनानी को आहतकरतीयुद्धभूमि में ढालेंजाने कब से मूकपड़ा हैमीरा का हर इकतारा। संबंधों का ताना-बानाउलझ गया है जबसेसड़कों पर नाराज खड़ा हैसन्नाटा भी तब सेखुली हथेली पररखा […]