एक बूँद इत्र | आरती
एक बूँद इत्र | आरती

एक बूँद इत्र | आरती

एक बूँद इत्र | आरती

जैसे बूँद भर इत्र की बिखर गई हो मेजपोश पर 
जैसे छलक गया हो प्याला शराब का
ऐसी ही कोई मिलीजुली सी
गमक
फैल गई है मेरे भीतर
मैं अभी इतनी फुरसत में नहीं कि
नफा नुकसान को माप तौल सकूँ

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *