आँसू | आस्तिक वाजपेयी आँसू | आस्तिक वाजपेयी मेरे आँसू तुम्हें देखकरथम जाते हैं,मेरा चेहरा हिमालय कीएक भीषण चोटी की तरहउन्हें जमा लेता है।मुझे पता नहीं कि तुम सामने हो,या आँसुओं ने आँखों पर दया करभ्रम पैदा कर दिया।