एक कविता लिखना चाहता हूँ | प्रयाग शुक्ला
एक कविता लिखना चाहता हूँ | प्रयाग शुक्ला
एक कविता लिखना चाहता हूँ
हो रही है शाम।
डूबने वाले हैं अँधेरे में पेड़।
इमारतों के ओर-छोर।
घर जाना चाहती हैं चिड़ियाँ।
एक सन्नाटा है यहाँ।
खाली पड़ी हैं बगीचे की कुर्सियाँ।
आ रही हैं घरों से
आवाजें मिली-जुली।
आकाश फिर लौट आया है अपने में।
एक कविता लिखना चाहता हूँ।