टूटा हृदय | त्रिलोचन कहीं से टूटा भी हृदय अपना नित्य अपनारहेगा। भूले भी पथ पर इसे छोड़ कर जोचलेगा, भोगेगा। क्षण क्षण कहानी अवश सीसुनाएगी गाथा, मुखर मुख होंगे सुरस से