Posted inPoems

ऋतु वर्णन

वर्षा ‘सेनापति’ उनए गए जल्द सावन कै, चारिह दिसनि घुमरत भरे तोई कै। सोभा सरसाने, न बखाने जात कहूँ भाँति, आने हैं पहार मानो काजर कै ढोइ कै। धन सों गगन छ्यों, तिमिर सघन भयो, देखि न परत मानो रवि गयो खोई कै। चारि मासि भरि स्याम निशा को भरम मानि, मेरी जान, याही ते […]