Posted inPoems

शाम होते ही किसी की देह-सी | ब्रजराज तिवारी

शाम होते ही किसी की देह-सी | ब्रजराज तिवारी शाम होते ही किसी की देह-सी | ब्रजराज तिवारी शाम होते ही किसी की देह-सीमहक जाती चाँदनी। आईने में एक धुँधले चित्र-सी उभर आती है,बारजे-छत पर अकेले जहाँ होता हूँ बिखर जाती है,उँगलियों से जब कहीं महसूस करना चाहता हूँन जाने क्यों बहक जाती चाँदनी।महक जाती […]