ये अनाज की पूलें तेरे काँधें झूलें | माखनलाल चतुर्वेदी
ये अनाज की पूलें तेरे काँधें झूलें | माखनलाल चतुर्वेदी

ये अनाज की पूलें तेरे काँधें झूलें | माखनलाल चतुर्वेदी

ये अनाज की पूलें तेरे काँधें झूलें | माखनलाल चतुर्वेदी

ये अनाज की पूलें 
तेरे काँधें झूलें

तेरा चौड़ा छाता 
रे जन-गण के भ्राता 
शिशिर, ग्रीष्म, वर्षा से लड़ते 
भू-स्वामी, निर्माता ! 
कीच, धूल, गंदगी बदन पर 
लेकर ओ मेहनतकश! 
गाता फिरे विश्व में भारत 
तेरा ही नव-श्रम-यश ! 
तेरी एक मुस्कराहट पर 
वीर पीढ़ियाँ फूलें। 
ये अनाज की पूलें 
तेरे काँधें झूलें !

इन भुजदंडों पर अर्पित 
सौ-सौ युग, सौ-सौ हिमगिरी 
सौ-सौ भागीरथी निछावर 
तेरे कोटि-कोटि शिर ! 
ये उगी बिन उगी फसलें 
तेरी प्राण कहानी 
हर रोटी ने, रक्त बूँद ने 
तेरी छवि पहचानी ! 
वायु तुम्हारी उज्ज्वल गाथा 
सूर्य तुम्हारा रथ है, 
बीहड़ काँटों भरा कीचमय 
एक तुम्हारा पथ है । 
यह शासन, यह कला, तपस्या 
तुझे कभी मत भूलें । 
ये अनाज की पूलें 
तेरे काँधें झूलें !

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