वृक्ष से
वृक्ष से

धैर्य के सुनहरे फल के
पकने तक केवल रियायत है
नदियों के साथ के संबंध
बनाएँगे हमें
यहाँ की बरसात में रास्‍ते के शब्‍द
और पुल
रचेंगे संबंधों का एक पुल
दो देशों की जमीन की सीमाओं के बीच
और मैं धरती की शांति के भीतर
खुद को फेंक दूँगा चुपचाप

समय की क्रूरता पर
हमेशा के लिए
भूल जाऊँगा संवाद करना

फिर से और फिर से
मेरे हृदय में उगेगा जो कुछ भी
शायद दूसरों की नेकी के लिए
अपने जीवन से खींचकर निकालूँगा
प्रेम के लिए स्‍नेह
पराई धरती पर सबके लिए

हर घर में
और आनंद का दीया जले
इस धरती पर सुबह की
रोशनी अपना असर करे
उसकी कलम स्‍याही हमें डूबी हुई है
और वह मुझे अजनबी समझ रहा है
मैं तुम्‍हारी ‘यात्रा’ को जानता हूँ।
मुझे दु:ख है, तुम अभी जाओ
बहुत से अप्रासंगिक लोग हैं यहाँ
जो बहुत मतलब नहीं रखते हैं।

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