वह | केदारनाथ सिंह
वह | केदारनाथ सिंह
इतने दिनों के बाद
वह इस समय ठीक
मेरे सामने है
न कुछ कहना
न सुनना
न पाना
न खोना
सिर्फ आँखों के आगे
एक परिचित चेहरे का होना
होना –
इतना ही काफी है
बस इतने से
हल हो जाते हैं
बहुत-से सवाल
बहुत-से शब्दों में
बस इसी से भर आया है लबालब अर्थ
कि वह है
वह है
है
और चकित हूँ मैं
कि इतने बरस बाद
और इस कठिन समय में भी
वह बिल्कुल उसी तरह
हँस रही है
और बस
इतना ही काफी है