उत्खनन | हरीशचंद्र पांडे
उत्खनन | हरीशचंद्र पांडे

उत्खनन | हरीशचंद्र पांडे

उत्खनन | हरीशचंद्र पांडे

केवल सभ्यताएँ नहीं मिलती
उत्खनन में सभ्यताओं के कटे हाथ भी मिलते हैं

आप इतिहास में दर्ज एक कलात्मक मूँठ को ढूँढ़ने निकलते हैं
उसकी जगह कलम किया हुआ सिर मिलता है

चाहे से, न चाहा गया अधिक मिलता है कभी-कभी

यह बिल्कुल संभव है कि कभी
गांधी को अपने तरीके से खोजने निकले लोगों के हाथ
चश्मे के एक जोड़े के पहले
कटी छातियों की जोड़ियों से मिलें

शायद ही कोई बता पाए
ये इधर से उधर भागती स्त्रियों के हैं
या उधर से इधर भागती

और शायद ही मिले चीख पुकारों का संग्रहालय

मिलेगा तो कोई यह कहते हुए मिलेगा पीछे मुड़ते हुए
कि बर्बरों को फाँसी पर लटका दिया गया है
और वह भी इस वजन से कहेगा
जैसे मंशाओं को फाँसी पर लटका दिया गया है

उत्खनन में मंशाओं की बड़ी भूमिका होती है

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *