उठ अब, ऐ मेरे महाप्राण | माखनलाल चतुर्वेदी
उठ अब, ऐ मेरे महाप्राण | माखनलाल चतुर्वेदी

उठ अब, ऐ मेरे महाप्राण | माखनलाल चतुर्वेदी

उठ अब, ऐ मेरे महाप्राण | माखनलाल चतुर्वेदी

उठ अब, ऐ मेरे महा प्राण!

आत्म-कलह पर 
विश्व-सतह पर 
कूजित हो तेरा वेद गान! 
उठ अब, ऐ मेरे महा प्राण!

जीवन ज्वालामय करते हों 
लेकर कर में करवाल 
करते हों आत्मार्पण से 
भू के मस्तक को लाल!

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किंतु तर्जनी तेरी हो, 
उनके मस्तक तैयार, 
पथ-दर्शक अमरत्व 
और हो नभ-विदलिनी पुकार;

वीन लिए, उठ सुजान, 
गोद लिए खींच कान, 
परम शक्ति तू महान।

काँप उठे तार-तार, 
तार-तार उठें ज्वार, 
खुले मंजु मुक्ति द्वार।

शांति पहर पर, 
क्रांति लहर पर 
उठ बन जागृति की अमर तान; 
उठ अब, ऐ मेरे महा प्राण!

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