छान्ही पर रोज ही बैठती है एक चिड़ियाचहकती है कुछ देरऔर लौट जाती है नीम के पेड़ की ओरबहुत देर तक बजता है एक सन्नाटाफिर मन के डैने फड़फड़ाते हैंऔर बार-बारमैं लौट जाना चाहता हूँएक छूट गए घरौंदे मेंसिर्फ तुम्हारे लिए