तुम्हारा साथ | मंजूषा मन
तुम्हारा साथ | मंजूषा मन

तुम्हारा साथ | मंजूषा मन

तुम्हारा साथ | मंजूषा मन

तुम्हारा साथ मिलते ही
लगा था मन को
कि चलो अब होगा
कोई मेरा भी
कोई सुनेगा
मेरे मन की भी
बाँट लेगा कोई
मेरे दुख दर्द
पर…
आज इस एहसास ने
फिर बिखेर दीं
सारी उम्मीदें
सब आशाएँ
आज जाना मैंने
कि…
तुम मेरे नहीं
बस मुझे ही
तुम्हारा होना है
सुनना है मुझे
तुम्हारे मन की
बाँटना है मुझे
तुम्हारे दुख दर्द
क्योंकि…
मैं तो हूँ
एक औरत।

Leave a comment

Leave a Reply