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सपनों की बाइबिल

रोजाना सुबह नौ बजे से शाम पाँच बजे तक मैं अपनी सीट पर बैठी दूसरों के ख्‍वाब टाइप करती रहती रही हूँ। मुझे इसीलिए मुलाजिम रखा गया है। मेरे अफसरों का हुक्‍म है कि मैं तमाम चीजें टाइप करूँ। ख्‍वाब, शिकायतें, माँ से मतभेद, बोतल और बिस्‍तर की समस्‍याएँ, बाप से झगड़ा, सरदर्द जो इतना […]