अद्भुत एक अनूपम बाग।जुगल कमल पर गज बर क्रीड़त, तापर सिंह करत अनुराग।हरि पर सरबर, सर पर गिरिवर, फूले कुंज पराग।रुचित कपोत बसत ता ऊपर, ता ऊपर अमृत फल लाग।फल पर पुहुप, पुहुप पर पल्लव, ता पर सुक पिक मृग-मद काग।खंजन, धनुक, चंद्रमा ऊपर, ता ऊपर एक मनिधर नाग।अंग अंग प्रति और और छबि, उपमा […]
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अँखियाँ हरि-दरसन की भूखीं
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