कितना कुछ जानते थेगांधी जी के बंदर वे कहते रहे, ‘सुनोगेतो देखने दौड़ोगे’ देखोगे तो बोलोगे ईं ईं ईं…और फिर पड़ेंगे पत्थररोओगे तब छत पर चढ़करकीं कीं कीं…’‘न सुनो, न देखो, न बोलो भई…’ लेकिन किसी ने सुना नहींबंदरों कोदेखा नहीं उन्हेंवे बस बोलते रह गए ईं ईं ईंखाते रहे पत्थररोते रहे हीं हीं हीं… […]
Tag: Sunita Jain
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सौ टंच माल
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वे आती थीं
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न आज, न कभी
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