कहने को तो हम आवारा स्वर हैं,इस वक्त सुबह के आमंत्रण पर हैं,हम ले आए हैं बीज उजाले के,पहचानो, सूरज के हस्ताक्षर हैं! वह अपना ही मधुवंत कलेजा था,जो कुटियों में भी सत्य सहेजा था,जो प्यासे क्षण में तुम्हें मिला होगा,वह मेघदूत हमने ही भेजा था,उजली मंजिल का परिचय पाने को,हम दिलगीरों से नजर मिलाने […]
Som Thakur
Posted inPoems
संध्या के संग लौट आना तुम
Posted inPoems
रिमझिम के फूल झरे
Posted inPoems
दिन गीत-गीत हो चला
Posted inPoems
तुम रहे हो द्वीप जैसे
Posted inPoems