शिकायत नहीं

शिकायत नहीं

मेरे बच्चे को मुझ से कोई शिकायत नहीं।मैंने रात में सोते समय कभीनानी की कहानियाँ नहीं सुनाई,खाने-पीने में उसकी रुचि नहीं पूछी,साथ बैठकर, उसके दोस्तों के साथ होने वालेलड़ाई-झगड़े नहीं सुलझाए। मैंने उसकेखेलने और भटकने पर कभी बंधन नहीं लगाया,क्योंकि कामों की भीड़ निपटाने के लिएमुझे समय चाहिए था।मैं व्यस्त थी। धीरे-धीरेउसकी आदत बन गई … Read more

मास्टर शेफ

मास्टर शेफ

मास्टर शेफ होटलों मेंबढ़िया-से-बढ़िया खाने का तरीका बताता हैमैं भी एक नौकर ही हूँ ।हर समय याद रखना –अब सब्जी मँगाना, अब फल मँगाना, अब दूध…क्या खाना बनवानासारे बिस्तर ठीक होने… सब एक साथ । मास्टर नहीं, एक तरह की घरेलू नौकरानी ।

लड़की

लड़की

मेरे अंदर कीअबोध लड़कीचुपचाप खिसक गईजाने कहाँकविताओं में अपने कोअभिव्यक्त कर पाने में असमर्थफूट-फूट कर रो रही हूँ मैं यहाँ!

पहचान

पहचान

वह क्रांति का जामा नहीं पहनेगीन विद्रोह की आग में ही जलेगीन किसी को तोड़कर फेंकेगीन स्वयं को टूटने देगीफिर वह क्या करेगी ? न वह जलता हुआ अंगार बनेगी,न बुझती हुई राखन पक्षी की तरहउड़ने की कामना करेगीन शुतुर्मुर्ग की तरहएक कोने की तलाशन खड़ी रहेगी, न भागेगीन संघर्षों का आह्वान करेगीन ठुकराएगीक्यों कि … Read more

नाम और पता

नाम और पता

जगह-जगह जब मुझ से पूछा जाता हैमेरा नाम और पताज्ञात नहीं होता मुझे अपने ही बारे में। एक बार और रुक कर देखती हूँ। सामने झर-झर झरती बूँदेंउनके पार आसमान परखिंच जाता है इंद्रधनुष – एक गाँव था जिससे इस बड़े शहर मेंपहुँच गई हूँ।वहाँ की धूप,कुएँ के पास वाला बरगदऔर उससे सटासिंघाड़ोंवाला तालाबजिसका पानीहरा … Read more

धूप : एक गौरइया

धूप : एक गौरइया

मैंने कहा धूप से – धूप! जरा ठहरो, मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगी, यहाँ यह ठिठुरन,यह अंधियारा मुझे तनिक नहीं भाता है। लेकिन धूप,धूप थी, भला क्यों रुकती ! मुझे मटमैली साँझ दे चली गई। मैंने देखा : मेरे ऊपर से पंख फड़फड़ा गौरइया एक क्षितिज की ओर उड़ी जाने कहाँ खो गई।

खालीपन

खालीपन

दुखजो मेरे अकेलेपन का साथी थावह भी छोड़ कर चला गयाक्योंकिमैंने उसे दे देना चाहा थाकिसी और को।

जड़ें

जड़ें

अंदर कभी समुद्र-मंथन चलता है,कभी ज्वालामुखी फूटता है,कभी दावाग्नि लगती है,कभी बर्फ जमती है,कभी बरसात होती है,कभी आँधी-तूफान चलता है,सब कुछ बाहर से क्यों नहीं गुजर जाता? जड़ें तो न हिलतींपेड़ की।

घर

घर 2

घर किस चिड़िया कानाम है?चार तिनकेएक जोड़ काया बाहर की सर्दीसे बचे गर्ममोड़ काचाँद का दागया चमकतनाव यातनाव में पड़ीढील काबाहर वालों के लिएखुली खिड़कीयाघुप्प अँधेरे की साँसया झिर्रियों से झरतीहवा काबासी साँसदबी उबासीउधार जीने का !

औरतें

औरतें

सारी औरतों नेअपने-अपने घरों के दरवाजे़तोड़ दिए हैंपता नहींवे सबकी सब गलियों में भटक रही हैंयापक्की-चौड़ी सड़कों पर दौड़ रही हैंयाचौराहों के चक्कर काट-काट करजहाँ से चली थींवहीं पहुँच रही हैं तितलियाँ ।