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खोजूँ फूल खिले चटकीले

धूल-शूल सेभरी डगर मेंखोजूँ फूल खिले चटकीले। खिल-खिल झरतीं पुष्प-रंगोलीपाकर, आँचल पास परोसा।झर-झर, राग-पराग परसतींपोसें, पालें सघन भरोसा।पागों रंग उगो उर टूटोउतरो हाथ, हथेली भीचेमह-मह महकें गंध नटीले । करम तार में बीनूँ, तानूँपरखूँ रूप उधेडूँ, छानूँ।फिर-फिर बदल-बदल के बानानाप-जोख कर गति पहचानूँ।पंच तत्व की गूँथी, सानीसतरंगी परिधान सजाएसोंधी माटी, गंध मटीले। काल बनाता ताना-बानायुग-युग […]