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खुले खेत की हवा

खुले खेत की हवा सरीखेमन दौड़े-भागेफैला दी चिड़िया ने बाँहेंमेड़ों के आगे। जब-तब निकल पड़ी उड़ान परसंग फूल को लेराह खुशबुओं ने दिखलाईरंग धूप को देकुमकुम बिखरा है परबत परभरी माँग लागे। बहुत नाचने लगती है वहरोम-रोम खिलतेकई पेड़ हों हरसिंगार केफूलों से भरतेपानी-रेत, शंख-सीपी हैंसब भीतर जागे। ऐसा घर कोई बस्ती मेंकबसे मिला नहींमिटती […]