Posted inPoems

चाँद से थोड़ी सी गप्पें

[एक दस-ग्‍यारह साल की लड़की] गोल हैं खूब मगरआप तिरछे नजर आते हैं जरा।आप पहने हुए हैं कुल आकाशतारों-जड़ा;सिर्फ मुँह खोले हुए हैं अपनागोरा चिट्टागोल मटोल,अपनी पोशाक को फैलाए हुए चारों सिम्‍त।आप कुछ तिरछे नजर आते हैं जाने कैसे– खूब हैं गोकि ! वाह जी वाह !हमको बुद्धू ही निरा समझा है !हम समझते ही […]