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बिटिया पार करेगी खे के!

माई मनसा-दीप जला कररोज शिवाले मत्था टेकेबिटिया झींक रही पीछे से‘क्या पाती है.. तन-मन दे के?’ मगर नहीं वह माँ से पूछेलाभ उसे क्या आखिर इसका?आँख मूँद जो गुनती रहती“वंश-बाँस पर वश है किसका?शैलसुता-से पाँव सहज होंजागे भाग करम के छेके…!” जुड़ते हाथ अगर मंदिर मेंताली बजती क्यों गाली परसिद्धिरात्रि ने खोला खुद कोमौन सभी […]