हम भटकते बादलों को ओ हवाओं थाम लो इंद्रधनुष के रंग छिपाए,ढेरों पानी भर कर लाएमजदूरों सा बोझ उठाए,दिशाहीनता से घबराएहम सागर के वंशज होकर फिर भी हैं गुमनाम लो! गो समुद्र से रचे हैं,खारेपन से पर बचे हैंहम नहीं अलगाववादी चिंतनों के चोंचलें हैंधरती को शीतल करने का हम से कोई काम लो। मीठे जल का कोश […]