मेरी इच्छाओं का पंछी उड़ चला है जाने किस कल्पवृक्ष की तलाश में कि पकड़ में ही नहीं आता वह दिलफरेब यक्ष है कि देवता जिसकी मुट्ठी में कल्पवृक्ष उड़ा चला जाता है अंतरिक्ष की ओर जाने कितनी कितनी आकाशगंगाओं के पार जहाँ कोई ध्वनि नहीं जाती कोई समय की सीमा नहीं ज़िंदगी होती जा रही है कम कम मेरे पास दूरी […]
Tag: Sandhya Navodita
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मैं दुख बोती हूँ
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पृथ्वी से रिश्ते तोड़ना
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जब कोई स्त्री छोड़ती है पृथ्वी
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