हरी मिर्च – 3
वहाँ तरह-तरह की वनस्पतियाँ थींबरगद के वनमहुआ के जंगलऔर फलों से लदी अमराइयों के पारसब्जियों की लंबी कतार में भटक रहा था – मैंअचानक उसने मेरा रास्ता रोक कर कहा –‘आइए! बाईसवीं सदी में आपका स्वागत है’वह एक हरी मिर्च थी।
वहाँ तरह-तरह की वनस्पतियाँ थींबरगद के वनमहुआ के जंगलऔर फलों से लदी अमराइयों के पारसब्जियों की लंबी कतार में भटक रहा था – मैंअचानक उसने मेरा रास्ता रोक कर कहा –‘आइए! बाईसवीं सदी में आपका स्वागत है’वह एक हरी मिर्च थी।
बंधुओ !इक्कीसवीं सदी में जाने की हड़बोंग मची हुई हैमानो वह आ नहीं रही है –हमीं उसमें घुसते चले जा रहे हैंजैसे इक्कीसवीं सदी में जानाघर बदलना हो। सारी कीमती चीजेंबटोरी जा रही हैं –मणियाँ और रत्नसोना और चाँदीबीमा के कागजशेयर सर्टिफिकेटऔर नई पुरानी पांडुलिपियाँयहाँ तक कि –कुछ कवि वर्षों से बटोर रहे हैं प्रेमपत्रइस … Read more
वह जहाँ भी होती हैउसका तीखा हरापन बरबस दिख जाता हैवह खींच ही लेती है – हर थैले का ध्यानऔर खरीद ली जाती है।‘अरे भाई! दो चार हरी मिर्च रख देना’ कहकरअक्सर माँग ली जाती है ‘घलुआ” इस तरहबाजार से लौटने वालेहर छोटे बड़े थैले में होती ही हैकुछ न कुछ हरी मिर्च। व्यंजनों से … Read more