मेरे जज़्बात में जब भी कभी थोड़ा उबाल आया | रमेश तैलंग
मेरे जज़्बात में जब भी कभी थोड़ा उबाल आया | रमेश तैलंग मेरे जज़्बात में जब भी कभी थोड़ा उबाल आया | रमेश तैलंग मेरे जज़्बात में जब भी कभी थोड़ा उबाल आया कभी बच्चों की चिंता तो कभी घर का खयाल आया पुरानी बंदिशें थीं या पुरानी रंजिशें थीं वो मेरी पूँजी … Read more