मेरे जज़्बात में जब भी कभी थोड़ा उबाल आया | रमेश तैलंग

मेरे जज़्बात में जब भी कभी थोड़ा उबाल आया

मेरे जज़्बात में जब भी कभी थोड़ा उबाल आया | रमेश तैलंग मेरे जज़्बात में जब भी कभी थोड़ा उबाल आया | रमेश तैलंग मेरे जज़्बात में जब भी कभी थोड़ा उबाल आया    कभी बच्चों की चिंता तो कभी घर का खयाल आया पुरानी बंदिशें थीं या पुरानी रंजिशें थीं वो    मेरी पूँजी … Read more

जहाँ उम्मीद थी ज़्यादा वहीं से खाली हाथ आए | रमेश तैलंग

जहाँ उम्मीद थी ज़्यादा वहीं से खाली हाथ आए | रमेश तैलंग

जहाँ उम्मीद थी ज़्यादा वहीं से खाली हाथ आए | रमेश तैलंग जहाँ उम्मीद थी ज़्यादा वहीं से खाली हाथ आए | रमेश तैलंग जहाँ उम्मीद थी ज़्यादा वहीं से खाली हाथ आए    बबूलों से बुरे निकले तेरे गुलमोहर के साए मैं अपनी दास्ताँ तुझको सुनाता किस तरह बोलो    कलेजा मुँह को आया … Read more

किसी को ज़िंदगी में जानना आसाँ नहीं होता | रमेश तैलंग

किसी को ज़िंदगी में जानना आसाँ नहीं होता | रमेश तैलंग

किसी को ज़िंदगी में जानना आसाँ नहीं होता | रमेश तैलंग किसी को ज़िंदगी में जानना आसाँ नहीं होता | रमेश तैलंग किसी को ज़िंदगी में जानना आसाँ नहीं होता    नज़र आता है जो जैसा कभी वैसा नहीं होता बड़ी रोशन निगाहें भी यहाँ खा जाती हैं धोखा    सुनहरी देह वाला सिक्का हर … Read more