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हम-तुम | रमानाथ अवस्थी

हम-तुम | रमानाथ अवस्थी हम-तुम | रमानाथ अवस्थी जीवन कभी सूना न होकुछ मैं कहूँ कुछ तुम कहो तुमने मुझे अपना लियायह तो बड़ा अच्छा कियाजिस सत्य से मैं दूर थावह पास तुमने ला दिया अब ज़िन्दगी की धार मेंकुछ मैं बहूँ कुछ तुम बहो जिसका हृदय सुन्दर नहींमेरे लिए पत्थर वहीमुझको नई गति चाहिएजैसे […]