रोशनी | राजा पुनियानी

रोशनी | राजा पुनियानी

रोशनी | राजा पुनियानी रोशनी | राजा पुनियानी उजाला ही है वहसब कह रहे हैं हाँ, वही तो उजाला हैउसी की तरह जो दिखता है उजालासब कह रहे हैं उजाले के नुकीले दाँतों में अटके हैंमांस के टुकड़ेवह बाँहों में विकास की गठरी दबा के लाया हैशासक की भाषा बोलता हैसारे गाँव, सारी बस्ती, सारे … Read more

मन | राजा पुनियानी

मन | राजा पुनियानी

मन | राजा पुनियानी मन | राजा पुनियानी 1. गाँठ पड़ने का डर हैफिर भी वह किसी को बताती नहींएकदम से बता नहीं पातीमन की बात जीवन की एक सच्चाई हैअच्छी तरह से पता है उसे –कि बात कहने पर भी टीसती है मन मेंनहीं कहने पर भी वह सोचती हैछोड़ो – पड़नी है तो … Read more

दरवाजा | राजा पुनियानी

दरवाजा | राजा पुनियानी

दरवाजा | राजा पुनियानी दरवाजा | राजा पुनियानी यूँ तो देखने के लिएपत्रिकाएँ हैंवाचाल अखबार हैदिमाग सड़ाने वाला टेलीविजन है देखने के लिए कम-से-कमदीवार पर टँगा टकटकी लगाए कैलेंडर हैदेखने के लिएबूढ़ी माँ का खगोल ललाट हैछोटी बेटी की छोटी सी अनंत सूरत हैएक खिड़की आकाशएक किरणपुंज धूपऔर एक आईना चाँद है वैसे खाली दीवार, … Read more

क्या कश्मीर दूर है? | राजा पुनियानी

क्या कश्मीर दूर है? | राजा पुनियानी

क्या कश्मीर दूर है? | राजा पुनियानी क्या कश्मीर दूर है? | राजा पुनियानी जब घर का गला दबोच केहुकूमती हवा के नुकीले हाथनिषिद्ध अंगों को चिथोड़ते हैं जब आदमी मुँह खोलेंगे इस डर के चलतेसरकारी बंदूक खोलती हो अपना मुँह जब जवान सड़कबोझिल समय के चौपाल में दिन में ही खर्राटे लेती हो जब … Read more